हिंदी कहानियां - भाग 161
तीन पक्के दोस्त
तीन पक्के दोस्त मीना अपने स्कूल में है मोनू के साथ। दीपू उधर से धीरे-धीरे चलता आ रहा है, और उदास भी है। दीपू, मीना और मोनू को बताता है कि कल रात उसके घर में चोरी हो गयी।.......मोनू, दीपू को अपने पास से उसकी पसंद की लाल वाली पेंसिल दे देता है। दीपू मोनू को अपनी टीम की तरफ से क्रिकेट मैच खेलने को कहता है। मोनू- नहीं दीपू, मेरे पास मैच-वैच खेलने का बिलकुल भी टाइम नहीं है। और अगले दिन..... दीपू भागता हुआ आता है जिसके हाथ में आज का अखवार है। जिसमे खबर छपी है कि आजकल चोरी की घटनाएं बढ़ती ही जा रही है। पिछले एक हफ्ते में चोरी के तीन मामले सामने आ चुके हैं। पुलिस का मानना है कि चोर कोई छोटा बच्चा है जो आसानी से खिड़की के रास्ते घरों में दाखिल होता है। पुलिस अधीक्षक ने जनता को सतर्क रहने की सलाह दी है। मोनू- दीपू...मैं तुम्हारे लिए कुछ लाया हूँ। ये लो। .....पेंसिल बॉक्स। लेकिन दीपू लेने को मना करता है, साथ ही बताता है कि मेरा पेंसिल बॉक्स जो चोरी हो गया था वो बिलकुल...ऐसा ही था नीले और हरे रंग का। मीना- अरे! हाँ, दीपू ये तो तुम्हारे पुराने पेंसिल बॉक्स जैसा है। मोनू- दीपू..मीना..अब मैं चलता हूँ, अपनी नई साईकिल पर घुमने। दीपू को लगता है कुछ गड़बड़ है। और अगले दिन स्कूल में, जब दीपू ने मोनू से पेंसिल बॉक्स के बारे में बात की तो मोनू नाराज़ हो दीपू पर टूट पड़ा। मीना कहती है-नहीं,मोनू ऐसा कुछ नहीं है। दीपू तो बस ...... मोनू- दीपू, ये पेंसिल बॉक्स मैंने खरीदा है, अपने पैसों से। मैंने तुम्हें अपना दोस्त समझा लेकिन तुम........मुझे तुम दोनों से कोई बात नहीं करनी। मीना और दीपू दोनों मोनू के घर पहुंचे। मोनू अपने पिताजी के साथ खेत पर गया हुआ है,ऐसा मोनू की माँ बताती है। साथ ही कहती हैं कि मोनू स्कूल के बाद सीधा घर आता ही नहीं, कभी दोस्तों के साथ खेलने चला जाता है तो कभी अपने पिताजी के साथ खेत पर। मीना और दीपू खेत पर पहुंचे। मीना- चाचाजी मोनू कहाँ है? मोनू के पिताजी- मोनू....घर पर होगा। दीपू सारी बात चाचा जी को बताता है। चाचा जी- जाने कहाँ होगा मेरा मोनू? मीना......दीपू....चलो, मोनू को ढूँढ के आते है। मीना, दीपू और मोनू के पिताजी ने पूरे गाँव में ढूँढा लेकिन मोनू कहीं नही मिला। और फिर वो पहुंचे गाँव के बाहर एक खदान के पास, खदान- जहाँ जमीन से पत्थर निकाल के उन्हें तोडा जाता है। .......मोनू वहां पत्थर तोड़ता हुआ दिखाई दिया। मोनू अपने पिताजी को देख के घबडा गया था, वहां से भागने की कोशिश में उसका पैर मुडा और वो पत्थरों पर गिर गया। मीना,दीपू और उसके पिताजी उसे लेके नर्स बहिन जी के पास गए। नर्स बहिन जी बताती है कि मोनू के पैर में मोच आयी है। मैंने दवा दे दी है, एक दो दिन में ठीक हो जायेगी। नर्से बहिन जी मोनू के पिताजी से कहती हैं- भाई साहब, मोनू को उस खदान में नहीं जाना चाहिये था। ये तो मामूली सी मोच है, उसे कोई गंभीर चोट भी लग सकती थी। पिताजी- मोनू बेटा, तुम उस खदान में काम क्यों कर रहे थे? अरे भई, काम करने के लिए अपने खेत है ना। फिर तुम कहीं और........ नर्स बहिन जी- भाई साहब, खेत हो या खदान, मोनू को कहीं भी काम नहीं करना चाहिए। नर्स बहिन जी समझाती है कि १४ साल से कम उम्र के बच्चे से काम या मजदूरी करवाना एक दंडनीय अपराध है। ये उम्र पढ़ने लिखने और खेलने कूदने की है जिससे बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास होता है।..इस उम्र में काम या मजदूरी करने से बच्चे का शरीरिय और भावुक विकास नहीं हो पता और उन्हें काम करतेहुए कोई खतरनाक चोट भी पहुँच सकती है। मोनू के पिताजी को अपनी गलती का अहसास होता है। मिठ्ठू चहका-‘पूरी उम्र पडी है तुमको जल्दी बड़ी है।’ और कुछ दिनों बाद..... मीना मोनू से पूंछती है- तुमने दीपू के लिए पेंसिल बॉक्स कहाँ से खरीदा था? मोनू- मीना,उस खदान के पास एक छोटे कद का आदमी शाम को आता है। बढ़िया-बढ़िया चीजें बहुत सस्ते दाम में बेचने....मैंने ये पेंसिल बॉक्स उसी से खरीदा था। मीना- हम्म, तो ये बात है। मीना,दीपू और मोनू के साथ पुलिस के पास गयी और उसने उन्हें पूरी बात बताई। उसी शाम पुलिस ने कारखाने के बाहर उस आदमी को गिरफ्तार कर लिया। और फिर अगले दिन अखबार में...... ‘तीन दोस्तों की समझदारी से एक शातिर चोर पकड़ा गया।’